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पटना की रिहायशी कॉलोनी से निकली गन फैक्ट्री, पुलिस की कार्रवाई ने खोली सिस्टम की पोल

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मोहम्मद आलम

पटना: राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। शाहपुर थाना क्षेत्र की पॉश कॉलोनी में चल रही मिनी गन फैक्ट्री का पटना पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया है। सोचिए, जहां लोगों को चैन और सुकून मिलना चाहिए था, वहां अपराधियों का ‘कारखाना’ चल रहा था। यह घटना बताती है कि अवैध हथियारों का नेटवर्क कितना गहरा और बेखौफ हो चुका है।फ्लैट नंबर 607, अग्रणी होम्स से पुलिस ने छापेमारी के दौरान हथियार बनाने के उपकरण, 4 पिस्टल, 4 मैगजीन, 2 अधबने मैगजीन, 58 कारतूस, 30,500 रुपये नकद और 4 मोबाइल बरामद किए। दो शातिर—अवधेश कुमार वर्मा और अमन कुमार—गिरफ्तार हुए। पुलिस के अनुसार, ये दोनों लंबे समय से दानापुर, फुलवारी और मसौढ़ी में हथियारों की सप्लाई कर रहे थे। जमीन विवाद, शराब तस्करी से लेकर हत्या तक, इनके हथियार हर जगह इस्तेमाल हो रहे थे। चुकाने वाली बात यह है कि गिरफ्तार अवधेश वर्मा ने आईटीआई से डिप्लोमा किया था और वहीं से पिस्तौल-कट्टा बनाने का हुनर सीख लिया। पढ़ाई पूरी होते ही उसने इसे काले धंधे में बदल दिया। पुलिस पूछताछ में उसने 100 से ज्यादा हथियार बेचने की बात कबूल की है। एक पिस्तौल की कीमत 40 से 45 हजार रुपये तय होती थी।सवाल यह है कि यह सब रिहायशी फ्लैट में चलता रहा और सिस्टम को भनक तक क्यों नहीं लगी? क्या सोसाइटी मैनेजमेंट, स्थानीय पुलिस और खुफिया तंत्र सब सो रहे थे? जब अपराधी खुलेआम हथियार बना और बेच रहे हों, तो आम लोग कितने सुरक्षित हैं—यह समझने के लिए किसी रिसर्च की जरूरत नहीं।पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन उतना ही शर्मनाक है कि गन फैक्ट्री खड़ी हो गई और कानून-व्यवस्था देखती रह गई। आज पटना में पकड़ी गई यह फैक्ट्री कल किसी और जिले में पकड़ी जाएगी। जब तक इस काले धंधे के बड़े गॉडफादर बेनकाब नहीं होंगे, तब तक छोटे-छोटे कारखाने बंद होने से कुछ नहीं बदलेगा।

✍ संपादकीय टिप्पणी

गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ केवल अपराधियों की गिरफ्तारी भर नहीं है, यह सिस्टम की नाकामी का आईना है। सवाल सरकार से है कि राजधानी में हथियारों का ‘कारोबार’ चल रहा था और खुफिया तंत्र की नींद क्यों नहीं टूटी? क्या जनता तभी सुरक्षित मानी जाएगी जब गोलियों की बौछार से कोई बड़ी वारदात हो? समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन केवल दिखावटी कार्रवाई छोड़, इस अवैध हथियार तंत्र के मूल जड़ों तक पहुंचे। वरना, पटना की गन फैक्ट्री आने वाले दिनों में पूरे बिहार की साख को तार-तार कर देगी।

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